aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "شراب"
शहाब जाफ़री
1930 - 2000
शायर
मुस्तफ़ा शहाब
क़ुद्रतुल्लाह शहाब
1917 - 1986
लेखक
शबाब ललित
शहाबुद्दीन साक़िब
शबाब
शहाबुद्दीन शाह क़न्नौजी
एजाज़ुलहक़ शहाब
शहाब लखनवी
मोना शहाब
शहाब सर्मदी
1914 - 1994
शबाब मेरठी
शहाब अशरफ़
शहाब देहल्वी
1922 - 1990
शहाब सफ़दर
तेरा फ़िराक़ जान-ए-जाँ ऐश था क्या मिरे लिएया'नी तिरे फ़िराक़ में ख़ूब शराब पी गई
आए कुछ अब्र कुछ शराब आएइस के बा'द आए जो अज़ाब आए
पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो-चारये शीशा ओ क़दह ओ कूज़ा ओ सुबू क्या है
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहींमुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे
तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचोतुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है
अगर आपको बस यूँही बैठे बैठे ज़रा सा झूमना है तो शराब शायरी पर हमारा ये इन्तिख़ाब पढ़िए। आप महसूस करेंगे कि शराब की लज़्ज़त और इस के सरूर की ज़रा सी मिक़दार उस शायरी में भी उतर आई है। ये शायरी आपको मज़ा तो देगी ही, साथ में हैरान भी करेगी कि शराब जो ब-ज़ाहिर बे-ख़ुदी और सुरूर बख़्शती है, शायरी मैं किस तरह मानी की एक लामहदूद कायनात का इस्तिआरा बन गई है।
तौबा, उर्दू की मधुशाला शायरी की मूल शब्दावली है । तौबा को विषय बनाते हुए उर्दू शायरी ने अपने विषय-वस्तु को ख़ूब विस्तार दिया है । ख़ास बात ये है कि पश्चाताप का विषय उर्दू शायरी में शोख़ी और शरारत के पहलू को सामने लाता है । मदिरा पान करने वाला पात्र अपने उपदेशक के कहने पर शराब से तौबा तो करता है लेकिन कभी मौसम की ख़ुशगवारी और कभी शराब की प्रबल इच्छा की वजह से ये तौबा टूट जाती है । यहाँ प्रस्तुत चुनिंदा शायरी में आप उपदेशक और शराब पीने वाले की शोख़ी और छेड़-छाड़ का आनंद लीजिए ।
शराबشراب
wine, liquor
Shahab Nama
2003आत्मकथा
Sharabus Saliheen
मुंशी मीर इमदाद अली शाह
Wine of Love
मिर्ज़ा ग़ालिब
2022कविता
Sharab-e-Marifat
अब्दुल्लाह शाह
Urdu Ke Nasri Asaleeb
शहाब ज़फ़र आज़मी
1999आलोचना
Baba-e-Urdu Maulvi Abdul Haq
1985शोध
Sharab-o-Saqi
साबिर जालंधरी
1966
Ya Khuda
1999नॉवेल / उपन्यास
2009आत्मकथा
Sharab Khori Aur Juye Baazi Ki Kharabiyan
ख़्वाजा हसन निज़ामी
1925इस्लामियात
Kitab-e-Tark-e-Sharab
अब्हदुल हमीद ख़ान बुबेरे
1939अन्य
Anjuman Taraqqi-e-Urdu Hind Ki Ilmi Aur Adabi Khidmaat
1990आलोचना
Deen-e-Ilahi Aur Uska Pas-e-Manzar
मेहर मोहम्मद ख़ाँ शहाब मलेर कोटलवी
2012भारत का इतिहास
Sharab-e-Kohna
रशीद नोमानी
1967तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
Sharab-e-Kuhan
कमाल अहमद रिज़वी
संकलन
और जाम टूटेंगे इस शराब-ख़ाने मेंमौसमों के आने में मौसमों के जाने में
'मीर' उन नीम-बाज़ आँखों मेंसारी मस्ती शराब की सी है
आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़'जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए
मुझ से कहती थीं वो शराब आँखेंआप वो ज़हर मत पिया कीजे
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गईआओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई
नज़र-ए-तग़ाफ़ुल-ए-यार का गिला किस ज़बाँ सीं बयाँ करूँकि शराब-ए-सद-क़दह आरज़ू ख़ुम-ए-दिल में थी सो भरी रही
ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ करया वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो
तिरे हाथ से मेरे होंट तक वही इंतिज़ार की प्यास हैमिरे नाम की जो शराब थी कहीं रास्ते में छलक गई
बे पिए ही शराब से नफ़रतये जहालत नहीं तो फिर क्या है
मेरा कश्कोल कब से ख़ाली थामैं ने इस में शराब भर ली है
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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