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ग़ज़ल
मिरी दिल की तबाही की शिकायत पर कहा उस ने
तुम अपने घर की चीज़ों की हिफ़ाज़त क्यूँ नहीं करते
फ़रहत एहसास
ग़ज़ल
मैं यूँ ही नहीं अपनी हिफ़ाज़त में लगा हूँ
मुझ में कहीं लगता है कि रक्खा हुआ तू है
अभिषेक शुक्ला
ग़ज़ल
गुलचीं ने तो कोशिश कर डाली सूनी हो चमन की हर डाली
काँटों ने मुबारक काम किया फूलों की हिफ़ाज़त कर बैठे
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
दे दिया है आप को दिल अब हिफ़ाज़त कीजिए
हर ख़ज़ाने में ये ला'ल-ए-बे-बहा मिलता नहीं
अब्दुल्लतीफ़ शौक़
ग़ज़ल
वक़्त गुज़रता जाता और ये ज़ख़्म हरे रहते तो
बड़ी हिफ़ाज़त से रक्खी है तेरी निशानी कहते