aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "कजरा"
सजाओ कोई कजरा लाओ गजरालचकती डालियो तुम फूल वारो
ऐसे डोले मन का बजरा जैसे नैन-बीच हो कजरादिल के अंदर धूम मची है जग में उदासी छाई है
आज यक़ीनन मेंह बरसेगा आज गिरेगी बर्क़ ज़रूरअँखियाँ भी पुर-शोर बहुत हैं कजरा भी घनघोर बहुत
कंथ मिले कजरा महकारंग रचे दीवाली पर
नैनों का कजरा भीग गया बैनी का गजरा टूट गयाअब भोर-भए घर आया तो बन कर मैं सो जाऊँगी
लगा कर इश्क़ का कजरा नयन कोदिखाऊँ याँ सेती हुब्बुलवतन को
बहुत कतरा रहे हो मुग़्बचों सेगुनाह-ए-तर्क-ए-बादा कर लिया क्या
मेरा दिया जलाए कौनमैं तिरा ख़ाली कमरा हूँ
क़तरा दरिया में जो मिल जाए तो दरिया हो जाएकाम अच्छा है वो जिस का कि मआल अच्छा है
रहेगा रावी ओ नील ओ फ़ुरात में कब तकतिरा सफ़ीना कि है बहर-ए-बे-कराँ के लिए
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जानादर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
जब उस की तस्वीर बनाया करता थाकमरा रंगों से भर जाया करता था
लाई हयात आए क़ज़ा ले चली चलेअपनी ख़ुशी न आए न अपनी ख़ुशी चले
आँसू को कभी ओस का क़तरा न समझनाऐसा तुम्हें चाहत का समुंदर न मिलेगा
कितने दिनों के प्यासे होंगे यारो सोचो तोशबनम का क़तरा भी जिन को दरिया लगता है
तू है मुहीत-ए-बे-कराँ मैं हूँ ज़रा सी आबजूया मुझे हम-कनार कर या मुझे बे-कनार कर
ज़रा सा क़तरा कहीं आज अगर उभरता हैसमुंदरों ही के लहजे में बात करता है
हूँ क़तरा-ज़न ब-वादी-ए-हसरत शबाना रोज़जुज़ तार-ए-अश्क जादा-ए-मंज़िल नहीं रहा
सहारा लेना ही पड़ता है मुझ को दरिया कामैं एक क़तरा हूँ तन्हा तो बह नहीं सकता
दिल आबाद कहाँ रह पाए उस की याद भुला देने सेकमरा वीराँ हो जाता है इक तस्वीर हटा देने से
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