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ग़ज़ल
हम और रस्म-ए-बंदगी आशुफ़्तगी उफ़्तादगी
एहसान है क्या क्या तिरा ऐ हुस्न-ए-बे-परवा तिरा
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
तिरा हुस्न फ़ित्ना-सामाँ मिरा इश्क़ वालिहाना
ये जुनूँ तो वो क़यामत पड़ा आफ़तों से पाला
दौलत राम साबिर पानीपती
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
बरस रही है हरीम-ए-हवस में दौलत-ए-हुस्न
गदा-ए-इश्क़ के कासे में इक नज़र भी नहीं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
दौलत-ए-हुस्न ग़ुलामों को बनाती है शाह
तोहमत-ए-इश्क़ से होते हैं सुबुकसार अज़ीज़
मोहम्मद ज़करिय्या ख़ान
ग़ज़ल
उफ़ ये तलाश-ए-हुस्न-ओ-हक़ीक़त किस जा ठहरें जाएँ कहाँ
सेहन-ए-चमन में फूल खिले हैं सहरा में दीवाने हैं
इब्न-ए-सफ़ी
ग़ज़ल
जुरअत-ए-अर्ज़-ए-तमन्ना मुझे क्यों कर हो 'कँवल'
ख़ातिर-ए-हुस्न पे हर बात गिराँ गुज़री है