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ग़ज़ल
एक तो इतना हब्स है फिर मैं साँसें रोके बैठा हूँ
वीरानी ने झाड़ू दे के घर में धूल उड़ाई है
जौन एलिया
ग़ज़ल
ज़ब्त सैलाब-ए-मोहब्बत को कहाँ तक रोके
दिल में जो बात हो आँखों से अयाँ होती है
साहिर होशियारपुरी
ग़ज़ल
रोके दुनिया में है यूँ तर्क-ए-हवस की कोशिश
जिस तरह अपने ही साए से गुरेज़ाँ होना
चकबस्त बृज नारायण
ग़ज़ल
बड़े बड़े ग़म खड़े हुए थे रस्ता रोके राहों में
छोटी छोटी ख़ुशियों से ही हम ने दिल को शाद किया
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
सफ़र में मुश्किलें आएँ तो जुरअत और बढ़ती है
कोई जब रास्ता रोके तो हिम्मत और बढ़ती है