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ग़ज़ल
तुम्हें उस से मोहब्बत है तो हिम्मत क्यूँ नहीं करते
किसी दिन उस के दर पे रक़्स-ए-वहशत क्यूँ नहीं करते
फ़रहत एहसास
ग़ज़ल
कल रात तन्हा चाँद को देखा था मैं ने ख़्वाब में
'मोहसिन' मुझे रास आएगी शायद सदा आवारगी
मोहसिन नक़वी
ग़ज़ल
जौन एलिया
ग़ज़ल
तिरी यादों की ख़ुश्बू खिड़कियों में रक़्स करती है
तिरे ग़म में सुलगता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं