aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "is"
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैंसो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं
अपनी महरूमियाँ छुपाते हैंहम ग़रीबों की आन-बान में क्या
बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगेइक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हमबिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगेजाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या हैआख़िर इस दर्द की दवा क्या है
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकलेबहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आयाजाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँक्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
बे-क़रारी सी बे-क़रारी हैवस्ल है और फ़िराक़ तारी है
हालत-ए-हाल के सबब हालत-ए-हाल ही गईशौक़ में कुछ नहीं गया शौक़ की ज़िंदगी गई
बात वो आधी रात की रात वो पूरे चाँद कीचाँद भी 'ऐन चैत का उस पे तिरा जमाल भी
यूँ नहीं है कि फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूँजो भी उस पेड़ की छाँव में गया बैठ गया
तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न होजहाँ उमीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता
आए कुछ अब्र कुछ शराब आएइस के बा'द आए जो अज़ाब आए
अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आइना हो जाऊँगाउस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा
ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छाइस रात की तक़दीर सँवर जाए तो अच्छा
है वो जान अब हर एक महफ़िल कीहम भी अब घर से कम निकलते हैं
शिकवा-ए-ज़ुल्मत-ए-शब से तो कहीं बेहतर थाअपने हिस्से की कोई शम्अ' जलाते जाते
इस शहर में किस से मिलें हम से तो छूटीं महफ़िलेंहर शख़्स तेरा नाम ले हर शख़्स दीवाना तिरा
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