aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ra.ng"
क़नाअत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू परचमन और भी आशियाँ और भी हैं
आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताबदिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चलेचले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले
तुम बनो रंग तुम बनो ख़ुश्बूहम तो अपने सुख़न में ढलते हैं
रक़्स है रंग पर रंग हम-रक़्स हैंसब बिछड़ जाएँगे सब बिखर जाएँगे
तुम हो अंगड़ाई रंग-ओ-निकहत कीकैसे अंगड़ाई से शिकायत हो
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तिरे पीछेतू देख कि क्या रंग है तेरा मिरे आगे
फूल से रंग जुदा होना कोई खेल नहींअपनी मिट्टी को कहीं छोड़ के जाएँ कैसे
मिरा वक़्त मुझ से बिछड़ गया मिरा रंग-रूप बिगड़ गयाजो ख़िज़ाँ से बाग़ उजड़ गया मैं उसी की फ़स्ल-ए-बहार हूँ
रंग-ए-मौसम है और बाद-ए-सबाशहर कूचों में ख़ाक उड़ाती है
न गुल खिले हैं न उन से मिले न मय पी हैअजीब रंग में अब के बहार गुज़री है
ना-तजरबा-कारी से वाइ'ज़ की ये हैं बातेंइस रंग को क्या जाने पूछो तो कभी पी है
निहाल सब्ज़ रंग में जमाल जिस का है 'मुनीर'किसी क़दीम ख़्वाब के मुहाल में मिला मुझे
इस दीद की साअत में कई रंग हैं लर्ज़ांमैं हूँ कि कोई और है दुनिया है कि तुम हो
ले गए ख़ाक में हम दाग़-ए-तमन्ना-ए-नशाततू हो और आप ब-सद-रंग-ए-गुलिस्ताँ होना
ख़्वाब-हा-ख़्वाब जिस को चाहा थारंग-हा-रंग उसी को भूल गया
आते जाते हैं कई रंग मिरे चेहरे परलोग लेते हैं मज़ा ज़िक्र तुम्हारा कर के
तुम बनो रंग तुम बनो ख़ुशबूहम तो अपने सुख़न में ढलते हैं
रंग हर रंग में है दाद-तलबख़ून थूकूँ तो वाह-वा कीजे
असीरी दिल-ए-आशुफ़्ता रंग ला के रहीतमाम तुर्रा-ए-तर्रार तार तार किया
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