आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "saadgi-e-husn"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "saadgi-e-husn"
ग़ज़ल
हम और रस्म-ए-बंदगी आशुफ़्तगी उफ़्तादगी
एहसान है क्या क्या तिरा ऐ हुस्न-ए-बे-परवा तिरा
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
इस सादगी-ए-हुस्न में किस दर्जा कशिश है
हर नाज़ में इक जज़्बा-ए-ग़म्माज़ का आलम
ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
चलो अच्छा ही हुआ मुफ़्त लुटा दी ये जिंस
हम को मिलता सिला-ए-हुस्न-ए-नज़र ही कितना
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
दिल की मताअ' तो लूट रहे हो हुस्न की दी है ज़कात कभी
रोज़-ए-हिसाब क़रीब है लोगो कुछ तो सवाब का काम करो
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
जुरअत-ए-अर्ज़-ए-तमन्ना मुझे क्यों कर हो 'कँवल'
ख़ातिर-ए-हुस्न पे हर बात गिराँ गुज़री है