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ग़ज़ल
जहाँ पे कप के किनारे पर एक लिपस्टिक का निशान होगा
वहीं पे इक दो क़दम की दूरी पे एक टाई पड़ी रहेगी
आमिर अमीर
ग़ज़ल
उस ने भी कम वक़्त लगाया आज अपनी तय्यारी में
मैं भी मैच नहीं कर पाया टाई उस के सूट के साथ
अज़हर फ़राग़
ग़ज़ल
निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
जो हो सके तो कोई निशानी बतौर तोहफ़ा ही भेज देना
तुम्हारी भेजी हुई वो टाई पहन पहन कर फटी हुई है
दानिश अज़ीज़
ग़ज़ल
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
हसरत मोहानी
ग़ज़ल
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
कभी तो सुब्ह तिरे कुंज-ए-लब से हो आग़ाज़
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्क-बार चले