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ग़ज़ल
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो
वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो
बशीर बद्र
ग़ज़ल
बहज़ाद लखनवी
ग़ज़ल
दुनिया ने किस का राह-ए-फ़ना में दिया है साथ
तुम भी चले चलो यूँही जब तक चली चले
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
यूँही रोज़ मिलने की आरज़ू बड़ी रख-रखाव की गुफ़्तुगू
ये शराफ़तें नहीं बे-ग़रज़ इसे आप से कोई काम है
बशीर बद्र
ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
बे-ख़याली में यूँही बस इक इरादा कर लिया
अपने दिल के शौक़ को हद से ज़ियादा कर लिया