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ग़ज़ल
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
मेरे अरमाँ वो सुधारे यूँ के यूंहीं रह गए
हौसले सारे के सारे यूँ के यूंहीं रह गए
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
मुझे उस से तो उसे मुझ से पहुँचती है मदद
साहब-ए-फ़न यूँहीं वाबस्ता रहा एक से एक
शाह अकबर दानापुरी
ग़ज़ल
कहा है जिस तरह मैं ने क़सम है तुझ को ऐ क़ासिद
पयाम-ए-शौक़ को मेरे यूँहीं जा कर अदा करना
रियाज़ हसन खाँ ख़याल
ग़ज़ल
सख़्ती भी सहो ज़ुल्म भी अंधेर भी देखो
'रौशन' यूँहीं दुनिया में करो चंदे बसर और
इनायतुल्लाह रौशन बदायूनी
ग़ज़ल
शाना की दस्त-दराज़ी है सितम का बा'इस
रोज़ कट जाते हैं नाहक़ यूँहीं दो-चार के हाथ
मुंशी बनवारी लाल शोला
ग़ज़ल
रख़्ना-साज़ी नहीं करती है वो चितवन कब तक
देखें रहते हैं यूँहीं बंद ये रौज़न कब तक
शाह अकबर दानापुरी
ग़ज़ल
गर दर्द-ए-दिल यूँहीं है सलामत तो एक दिन
'रौशन' ये याद रखना कि दुनिया में हम नहीं
इनायतुल्लाह रौशन बदायूनी
ग़ज़ल
यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो
वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो
बशीर बद्र
ग़ज़ल
किस का काबा कैसा क़िबला कौन हरम है क्या एहराम
कूचे के उस के बाशिंदों ने सब को यहीं से सलाम किया
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
बहज़ाद लखनवी
ग़ज़ल
दुनिया ने किस का राह-ए-फ़ना में दिया है साथ
तुम भी चले चलो यूँही जब तक चली चले