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ग़ज़ल
नौ-गिरफ़्तार-ए-बला तर्ज़-ए-वफ़ा क्या जानें
कोई ना-शाद सिखा दे उन्हें नालाँ होना
चकबस्त ब्रिज नारायण
ग़ज़ल
नाम भी लेना है जिस का इक जहान-ए-रंग-ओ-बू
दोस्तो उस नौ-बहार-ए-नाज़ की बातें करो
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
तन की दौलत मन की दौलत सब ख़्वाबों की बातें हैं
नौ मन तेल न हो तो घर में राधा को नचवाये कौन
किश्वर नाहीद
ग़ज़ल
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
बिगड़े हुए तेवर हैं नौ-उम्र सियासत के
बिफरी हुई साँसें हैं नौ-मश्क़ निज़ामों की