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नज़्म
मिट नहीं सकता कभी मर्द-ए-मुसलमाँ कि है
उस की अज़ानों से फ़ाश सिर्र-ए-कलीम-ओ-ख़लील
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
शजर है फ़िरक़ा-आराई तअस्सुब है समर उस का
ये वो फल है कि जन्नत से निकलवाता है आदम को
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ज़र्रात का बोसा लेने को सौ बार झुका आकाश यहाँ
ख़ुद आँख से हम ने देखी है बातिल की शिकस्त-ए-फ़ाश यहाँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
आह बद-क़िस्मत रहे आवाज़-ए-हक़ से बे-ख़बर
ग़ाफ़िल अपने फल की शीरीनी से होता है शजर
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
अभी मशिय्यतों पे फ़त्ह पा नहीं सका बशर
अभी मुक़द्दरों को बस में ला नहीं सका बशर