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नज़्म
ये चमन-ज़ार ये जमुना का किनारा ये महल
ये मुनक़्क़श दर ओ दीवार ये मेहराब ये ताक़
साहिर लुधियानवी
नज़्म
अवामुन्नास से पूछो भला अल-कुह्ल में क्या है
ये तअन-ओ-तंज़ की हर्ज़ा-सराई हो नहीं सकती
जौन एलिया
नज़्म
तब-ए-मशरिक़ के लिए मौज़ूँ यही अफ़यून थी
वर्ना क़व्वाली से कुछ कम-तर नहीं इल्म-ए-कलाम
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तिब्ब-ए-मग़रिब में मज़े मीठे असर ख़्वाब-आवरी
गर्मी-ए-गुफ़्तार आज़ा-ए-मजालिस अल-अमाँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
उम्र-ए-रफ़्ता के किसी ताक़ पे बिसरा हुआ दर्द
फिर से चाहे कि फ़रोज़ाँ हो तो हो जाने दो
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
जो ताक़-ए-हरम में रौशन है वो शम्अ यहाँ भी जलती है
इस दश्त के गोशे गोशे से इक जू-ए-हयात उबलती है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
वारिस-ए-असरार-ए-फ़ितरत फ़ातेह-ए-उम्मीद-ओ-बीम
महरम-ए-आसार-ए-बाराँ वाक़िफ़-ए-तब्अ-ए-नसीम
जोश मलीहाबादी
नज़्म
घर से लाया था जो कुछ तब्-ए-रवाँ ज़ेहन-ए-रसा
साथ उस के रहे असबाब-ए-तबाही बन कर