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नज़्म
अवतार पयम्बर जन्नती है फिर भी शैतान की बेटी है
ये वो बद-क़िस्मत माँ है जो बेटों की सेज पे लेटी है
साहिर लुधियानवी
नज़्म
मोहब्बत अपनी यक-तौरी में दुश्मन है मोहब्बत की
सुख़न माल-ए-मोहब्बत की दुकान-आराई करता है
जौन एलिया
नज़्म
उन जाने वाले दस्तों में ग़ैरत भी गई बरनाई भी
माओं के जवाँ बेटे भी गए बहनों के चहेते भाई भी
साहिर लुधियानवी
नज़्म
जनाब-ए-सेठ-साहब की जो इक बे-माँ की बच्ची है
निहायत लाडली है उम्र पुख़्ता अक़्ल कच्ची है
ज़रीफ़ जबलपूरी
नज़्म
मुझ को ख़बर नहीं थी आया हूँ मैं कहाँ से
माँ बाप इस ज़मीं पर लाए थे आसमाँ से
अहमद हातिब सिद्दीक़ी
नज़्म
मिरे जनम ही के दिन मर गई थी माँ मेरी
वो माँ कि शक्ल भी जिस माँ की मैं न देख सका
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
माँ अक्सर मेरी खाँसी पर तुम्हारा धोखा खाती है
ये बड़ की मेरी इक आदत तुम्हारी सी बताती है
मनोज अज़हर
नज़्म
मंज़ूर था जो माँ की ज़ियारत का इंतिज़ाम
दामन से अश्क पोंछ के दिल से किया कलाम
चकबस्त ब्रिज नारायण
नज़्म
तुम में हिम्मत है तो दुनिया से बग़ावत कर दो
वर्ना माँ बाप जहाँ कहते हैं शादी कर लो