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नज़्म
अपने सुक्कान-ए-कुहन की ख़ाक का दिल-दादा है
कोह के सर पर मिसाल-ए-पासबाँ इस्तादा है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये कुंद और यख़ बे-नुमू नींद जिस में
शब-ए-इर्तिक़ा और सुब्ह-ए-हरीरा का ताज़ा अमल राएगाँ हो रहा है
रफ़ीक़ संदेलवी
नज़्म
वतन की अंजुमन में शम' बन के रौशनी दी है
पिघल कर क़ौम को मैं ने बड़ी आसूदगी दी है
बनो ताहिरा सईद
नज़्म
एक जिस्म-ए-ना-तवाँ इतनी दबाओं का हुजूम
इक चराग़-ए-सुब्ह और इतनी हवाओं का हुजूम
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
नज़्म
रहबर जौनपूरी
नज़्म
लर्ज़ा था जिस के बच्चों का नाम सुन के आलम
होता था जिन के आगे शेरों का ख़त्म दम-ख़म
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
झुटपुटे का नर्म-रौ दरिया शफ़क़ का इज़्तिराब
खेतियाँ मैदान ख़ामोशी ग़ुरूब-ए-आफ़्ताब