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नज़्म
ज़मीर-ए-लाला में रौशन चराग़-ए-आरज़ू कर दे
चमन के ज़र्रे ज़र्रे को शहीद-ए-जुस्तुजू कर दे
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ज़र्रे ज़र्रे में तिरे ख़्वाबीदा हैं शम्स ओ क़मर
यूँ तो पोशीदा हैं तेरी ख़ाक में लाखों गुहर
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मैं उस वादी के ज़र्रे ज़र्रे पर सज्दे बिछा दूँगा
जहाँ वो जान-ए-काबा अज़्मत-ए-बुत-ख़ाना रहती थी
अख़्तर शीरानी
नज़्म
हमारे वास्ते तू एक लाफ़ानी मसर्रत है
हमें स्कूल तेरे ज़र्रे ज़र्रे से मोहब्बत है
अब्दुल अहद साज़
नज़्म
अभी तो रूह बन के ज़र्रे ज़र्रे में समाऊँगा
अभी तो सुब्ह बन के मैं उफ़ुक़ पे थरथराऊँगा
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
आनंद नारायण मुल्ला
नज़्म
ब-ज़ेर-ए-साया-ए-दीवार-ए-मस्जिद है जो आसूदा
ये ख़ाकी जिस्म है सत्तर बरस का राह पैमूदा