आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "तिरयाक़"
नज़्म के संबंधित परिणाम "तिरयाक़"
नज़्म
अब भी दिलकश है तिरा हुस्न मगर क्या कीजे
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
मेरी बे-ख़्वाब निगाहों का उड़ाते थे मज़ाक़
वो जिन्हें सादा-दिली समझी जुनूँ का तिरयाक
फ़ारिग़ बुख़ारी
नज़्म
उसी जौहर की जुम्बिश से तो ग़ैरत सर उठाती है
सितम के ज़हर का तिरयाक़ आख़िर ''साँच'' बनता है