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नज़्म
तेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या है
तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
तहज़ीब-ए-ज़िंदगी के फ़रोग़-ए-वतन के ख़्वाब
ज़िंदाँ के ख़्वाब कूचा-ए-दार-ओ-रसन के ख़्वाब
साहिर लुधियानवी
नज़्म
ज़माना आया है बे-हिजाबी का आम दीदार-ए-यार होगा
सुकूत था पर्दा-दार जिस का वो राज़ अब आश्कार होगा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
महफ़िल-ए-हस्ती तिरी बरबत से है सरमाया-दार
जिस तरह नद्दी के नग़्मों से सुकूत-ए-कोहसार
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
रौशनी चाहिए، चाँदनी चाहिए، ज़िंदगी चाहिए
रौशनी प्यार की, चाँदनी यार की, ज़िंदगी दार की