आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".bho"
नज़्म के संबंधित परिणाम ".bho"
नज़्म
यूँ न था मैं ने फ़क़त चाहा था यूँ हो जाए
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
न ज़ाहिर हो तुम्हारी कश्मकश का राज़ नज़रों से
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेश-क़दमी से
साहिर लुधियानवी
नज़्म
थी फ़रिश्तों को भी हैरत कि ये आवाज़ है क्या
अर्श वालों पे भी खुलता नहीं ये राज़ है क्या
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
फ़र्ज़ करो ये रोग हो झूटा झूटी पीत हमारी हो
फ़र्ज़ करो इस पीत के रोग में साँस भी हम पर भारी हो
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
मुंतज़िर है एक तूफ़ान-ए-बला मेरे लिए
अब भी जाने कितने दरवाज़े हैं वा मेरे लिए
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
सुना है हो भी चुका है फ़िराक़-ए-ज़ुल्मत-ओ-नूर
सुना है हो भी चुका है विसाल-ए-मंज़िल-ओ-गाम