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नज़्म
दिन-रात जो खेला करते थे वो भाई हमारे फ़ेल हुए
दिन-रात जो घूमा करते थे वो भाई हमारे फ़ेल हुए
हसरत जयपुरी
नज़्म
इमरान शमशाद नरमी
नज़्म
इन कटर आउट कटर से हो के बिल्कुल बे-नियाज़
बंद कर के आँख बस बल्ला घुमा जाता हूँ मैं
इनायत अली ख़ाँ
नज़्म
हिन्दोस्ताँ वही है प्यारा वतन हमारा
गोदी में जिस की अब तक गामा सा पहलवाँ है
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
इन से मिलिए ये हैं असलम गामा के उस्ताद हैं
दारा सिंह और भोलू के भी दाओ सब इन को याद हैं
मुर्तजा साहिल तस्लीमी
नज़्म
दीदे घुमा घुमा के कहीं क्यूँ न गोपियाँ
उन के चलन तो बिगड़े हुए इब्तिदा के हैं