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नज़्म
उम्मतें गुलशन-ए-हस्ती में समर-चीदा भी हैं
और महरूम-ए-समर भी हैं ख़िज़ाँ-दीदा भी हैं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मैं शायद अब नहीं हूँ वो मगर अब भी वही हूँ मैं
ग़ज़ब हंगामा-परवर ख़ीरा-सरा अब भी वही हूँ मैं
जौन एलिया
नज़्म
नज़र को ख़ीरा करती है चमक तहज़ीब-ए-हाज़िर की
ये सन्नाई मगर झूटे निगूँ की रेज़ा-कारी है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ख़िज़्र भी बे-दस्त-ओ-पा इल्यास भी बे-दस्त-ओ-पा
मेरे तूफ़ाँ यम-ब-यम दरिया-ब-दरिया जू-ब-जू
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अंजुम-ए-कम-ज़ौ गिरफ़्तार-ए-तिलिस्म-ए-माहताब
देखता क्या हूँ कि वो पैक-ए-जहाँ-पैमा ख़िज़्र
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मिरा रोना नहीं रोना है ये सारे गुलिस्ताँ का
वो गुल हूँ मैं ख़िज़ाँ हर गुल की है गोया ख़िज़ाँ मेरी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मिरा ईमाँ है मेरी ज़िंदगी है मेरी जन्नत है
मेरी आँखों को ख़ीरा कर गईं ताबानियाँ उस की
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
झाड़ियाँ जिन के क़फ़स में क़ैद है आह-ए-ख़िज़ाँ
सब्ज़ कर देगी उन्हें बाद-ए-बहार-ए-जावेदाँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
सोचता हूँ कि मोहब्बत है जवानी की ख़िज़ाँ
उस ने देखा नहीं दुनिया में बहारों के सिवा
नून मीम राशिद
नज़्म
उस के तो मुँह का रंग उड़ाती है मुफ़्लिसी
जब ख़ूब-रू पे आन के पड़ता है दिन सियाह