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नज़्म
जिन का दीं पैरवी-ए-किज़्ब-ओ-रिया है उन को
हिम्मत-ए-कुफ़्र मिले जुरअत-ए-तहक़ीक़ मिले
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
हैं कहाँ हुस्न-ए-सदाक़त की सुहानी वादियाँ
सिलसिला-दर-सिलसिला किज़्ब-ओ-रिया की घाटियाँ
हमीद अलमास
नज़्म
ऐ ज़न-ए-नापाक फ़ित्रत-ए-पैकर-ए-मकर-ओ-रिया
दुश्मन-ए-मेहर-ओ-वफ़ा ग़ारत-गर-ए-शर्म-ओ-हया
माहिर-उल क़ादरी
नज़्म
फीका है जिस के सामने अक्स-ए-जमाल-ए-यार
अज़्म-ए-जवाँ को मैं ने वो ग़ाज़ा अता किया
आल-ए-अहमद सुरूर
नज़्म
ऐ गुल-ए-रंगीं-क़बा ऐ ग़ाज़ा-ए-रू-ए-बहार
तू है ख़ुद अपने जमाल-ए-हुस्न का आईना-दार
मुईन अहसन जज़्बी
नज़्म
मिरे किज़्ब-ओ-रिया को मक्र को और बे-ईमानी को
नफ़ाक़-ओ-बद-क़िमाशी को मिरे ज़ाहिर को बातिन को
अबु बक्र अब्बाद
नज़्म
तू और रंग-ए-ग़ाज़ा-ओ-गुलगूना-ओ-शहाब
सोचा भी किस के ख़ून की बनती हैं सुर्ख़ियाँ
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
अपने ही ज़ौक़-ए-तबस्सुम में गिरफ़्तार-ओ-असीर
ज़र्द चेहरे पे मिले ग़ाज़ा-ए-गुल-ए-रंग की धूल
फ़रीद इशरती
नज़्म
जिन पर नारे हैं लिखे घर वो तह-ए-ख़ाक करो
शहर में गूँजे फ़क़त नग़्मा-ए-तौसीफ़-ए-रिया
इलियास बाबर आवान
नज़्म
एक पल में फूँक दे तू ख़िर्मन-ए-मक्र-ओ-रिया
ये हक़ीक़त है कि तू शो'ला भी है शबनम भी है
प्रेम पाल अश्क
नज़्म
इशरतें ख़्वाबीदा रंग-ए-ग़ाज़ा-ए-रुख़सार में
सुर्ख़ होंटों पर तबस्सुम की ज़ियाएँ जिस तरह
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ये लड़का मुस्कुराता है ये आहिस्ता से कहता है
ये किज़्ब-ओ-इफ़्तिरा है झूट है देखो मैं ज़िंदा हूँ
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
ज़र्द पत्ता हो गया था रो-ए-पुर-अनवार-ए-गुल
शर्म रख ली तू ने बन कर ग़ाज़ा-ए-रुख़्सार-ए-गुल