आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "gaun"
नज़्म के संबंधित परिणाम "gaun"
नज़्म
जब चलते चलते रस्ते में ये गौन तिरी रह जावेगी
इक बधिया तेरी मिट्टी पर फिर घास न चरने आवेगी
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
ज़मीं पर लेक्चरर कुछ तैरते फिरते नज़र आए
और उन की ''गाऊन'' से कंधों पे दो शहपर नज़र आए
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
जौन एलिया
नज़्म
वो कुछ नहीं है अब इक जुम्बिश-ए-ख़फ़ी के सिवा
ख़ुद अपनी कैफ़ियत-ए-नील-गूँ में हर लहज़ा
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
यूँही देखूँ जो राखी को तो ये रंगीन डोरा है
जो देखूँ ग़ौर से इस को तो है ज़ंजीर लोहे की
फौज़िया मुग़ल
नज़्म
मिरे बाज़ू पे जब वो ज़ुल्फ़-ए-शब-गूँ खोल देती थी
ज़माना निकहत-ए-ख़ुल्द-ए-बरीं में डूब जाता था
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ज़रा देखो तो मुझ को ग़ौर से शायद वो मैं ही था
बहुत दिन में मिले हैं हम तो आओ आज जी भर कर
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
सुनो ये ग़ौर से माएँ बिलक रही हैं कहीं
ये देखो बच्चों की आँखें छलक रही हैं कहीं