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नज़्म
है जिन्हें सब से ज़ियादा दावा-ए-हुब्बुलवतन
आज उन की वज्ह से हुब्ब-ए-वतन रुस्वा तो है
साहिर लुधियानवी
नज़्म
न हूँ शाइ'र न वली हूँ न हूँ एजाज़-ए-बयाँ
बज़्म-ए-क़ुदरत में हूँ तस्वीर की सूरत हैराँ
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
हुब्ब-ए-क़ौमी का ज़बाँ पर इन दिनों अफ़्साना है
बादा-ए-उल्फ़त से पुर दिल का मिरे पैमाना है
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
राम और कृष्ण के जीवन से तुझे प्यार मगर
बादा-ए-हुब्ब-ए-मोहम्मद से भी सरशार मगर
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
नज़्म
जज़्बा-ए-हुब्ब-ए-वतन दिल में निहाँ रखते हैं
मिस्ल-ए-ख़ूँ जोश ये रग रग में रवाँ रखते हैं
बर्क़ देहलवी
नज़्म
कश्मकश में अपने ही मा'बद से कतराता हुआ
आदमी फिरता था दर दर ठोकरें खाता हुआ