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नज़्म
शौकत-ए-संजर-ओ-सलीम तेरे जलाल की नुमूद!
फ़क़्र-ए-'जुनेद'-ओ-'बायज़ीद' तेरा जमाल बे-नक़ाब!
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
''सितारा-बार ओ मह-चकाँ ओ ख़ुर-फ़िशाँ'' जमाल-ए-यार
जहान-ए-नूर कारवाँ-ब-कारवाँ लिए हुए
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
चीरा-दस्ती का मिटा देती हैं सब जाह-ओ-जलाल
हैफ़-सद-हैफ़ कि हाइल है ग़रीबों का ख़याल
शकील बदायूनी
नज़्म
हँस रहा है ज़िंदगी पर इस तरह माज़ी का हाल
ख़ंदा-ज़न हो जिस तरह इस्मत पे क़हबा का जमाल
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
हम ने इन आली बिनाओं से किया अक्सर सवाल
आश्कारा जिन से उन के बानियों का है जलाल
अल्ताफ़ हुसैन हाली
नज़्म
दिल मिरा कोह ओ दमन दश्त ओ चमन की हद है
मेरे कीसे में है रातों का सियह-फ़ाम जलाल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ग़ासिबों से बढ़ के जब करता है हक़ अपना सवाल
जब नज़र आता है मज़लूमों के चेहरों पर जलाल