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नज़्म
ये चिड़ियाँ चहचहाती हैं तो उन को चहचहाने दो
परिंदों को दरख़्तों पर ख़ुशी के गीत गाने दो
मोहम्मद सादिक़ ज़िया
नज़्म
ऐ दोस्तो बताओ किस हाल में हो अब तुम
होंटों पे क्यों नहीं है वो शोख़ी-ए-तबस्सुम
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
अपनी सोई हुई दुनिया को जगा लूँ तो चलूँ
अपने ग़म-ख़ाने में इक धूम मचा लूँ तो चलूँ
मुईन अहसन जज़्बी
नज़्म
बताऊँ क्या तुझे ऐ हम-नशीं किस से मोहब्बत है
मैं जिस दुनिया में रहता हूँ वो इस दुनिया की औरत है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ऐ बचपने की दुनिया तो याद आ रही है
दिल से मिरी सदा-ए-फ़रियाद आ रही है
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
न पूछ ऐ हम-नशीं कॉलेज में आ कर हम ने क्या देखा
ज़मीं बदली हुई देखी फ़लक बदला हुआ देखा
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
गो गुलिस्तान-ए-जहाँ पर मेरी नज़रें कम पड़ीं
और पड़ीं भी तो ख़ुदा शाहिद ब-चश्म-ए-नम पड़ीं