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नज़्म
रुख़्सत हुआ वो बाप से ले कर ख़ुदा का नाम
राह-ए-वफ़ा की मंज़िल-ए-अव्वल हुई तमाम
चकबस्त ब्रिज नारायण
नज़्म
नहीं मालूम 'ज़रयून' अब तुम्हारी उम्र क्या होगी
वो किन ख़्वाबों से जाने आश्ना ना-आश्ना होगी
जौन एलिया
नज़्म
रहम ऐ नक़्क़ाद-ए-फ़न ये क्या सितम करता है तू
कोई नोक-ए-ख़ार से छूता है नब्ज़-ए-रंग-ओ-बू
जोश मलीहाबादी
नज़्म
ऐ चचा ख़र्रू शिचोफ़ ऐ मामूँ केंडी अस्सलाम
एक ही ख़त है ये मामूँ और चचा दोनों के नाम
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
बे-शुमार आँखों को चेहरे में लगाए हुए इस्तादा है तामीर का इक नक़्श-ए-अजीब
ऐ तमद्दुन के नक़ीब!