आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "zebo"
नज़्म के संबंधित परिणाम "zebo"
नज़्म
तेरे जबीं से नूर-ए-हुस्न-ए-अज़ल अयाँ है
अल्लाह-रे ज़ेब-ओ-ज़ीनत क्या औज-ए-इज़्ज़-ओ-शाँ है
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
मैं अपने हाथ से प्यारे के बाँधूँ प्यार की राखी
हुई है ज़ेब-ओ-ज़ीनत और ख़ूबाँ को तो राखी से
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
तू और ज़ेब-ओ-ज़ीनत-ए-अलवान-ए-ज़र-निगार
क्या तेरे क़स्र-ए-नाज़ की हिलती नहीं ज़मीं
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
ज़ेब-ओ-ज़ीनत में तू ऐ जान-ए-जहाँ मशहूर है
ख़ैर ओ बरकत से तू ऐ हिन्दोस्ताँ मामूर है
सफ़ीर काकोरवी
नज़्म
तेरी जबीं से नूर-ए-हुस्न-ए-अज़ल 'अयाँ है
अल्लह रे ज़ेब-ओ-ज़ीनत क्या औज-ए-‘इज़्ज़-ओ-शाँ है
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
मेरे आक़ा वो जहाँ ज़ेर-ओ-ज़बर होने को है
जिस जहाँ का है फ़क़त तेरी सियादत पर मदार
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
सिलसिला-ए-रोज़-ओ-शब साज़-ए-अज़ल की फ़ुग़ाँ
जिस से दिखाती है ज़ात ज़ेर-ओ-बम-ए-मुम्किनात
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
क़ल्ब-ए-इंसानी में रक़्स-ए-ऐश-ओ-ग़म रहता नहीं
नग़्मा रह जाता है लुत्फ़-ए-ज़ेर-ओ-बम रहता नहीं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
था सरापा रूह तू बज़्म-ए-सुख़न पैकर तिरा
ज़ेब-ए-महफ़िल भी रहा महफ़िल से पिन्हाँ भी रहा