राहत इंदौरी: चाँद पागल है

राहत इंदौरी हमारे दौर के अहमतरीन और मक़बूल शायरों में शुमार होते हैं | उनके कहे शेर हमें हमारी ज़िन्दगी का आइना लगते हैं | उनके चंद मुन्तख़ब अशआर आपके लिए पेश-ए-ख़िदमत हैं |

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है

चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है

राहत इंदौरी

सूरज सितारे चाँद मिरे साथ में रहे

जब तक तुम्हारे हाथ मिरे हाथ में रहे

राहत इंदौरी

रात की धड़कन जब तक जारी रहती है

सोते नहीं हम ज़िम्मेदारी रहती है

राहत इंदौरी

सोए रहते हैं ओढ़ कर ख़ुद को

अब ज़रूरत नहीं रज़ाई की

राहत इंदौरी

चराग़ों का घराना चल रहा है

हवा से दोस्ताना चल रहा है

राहत इंदौरी

सितारो आओ मिरी राह में बिखर जाओ

ये मेरा हुक्म है हालाँकि कुछ नहीं हूँ मैं

राहत इंदौरी

चाँद सूरज मिरी चौखट पे कई सदियों से

रोज़ लिक्खे हुए चेहरे पे सवाल आते हैं

राहत इंदौरी

अब इतनी सारी शबों का हिसाब कौन रखे

बड़े सवाब कमाए गए जवानी में

राहत इंदौरी

जा-नमाज़ों की तरह नूर में उज्लाई सहर

रात भर जैसे फ़रिश्तों ने इबादत की है

राहत इंदौरी

शाम ने जब पलकों पे आतिश-दान लिया

कुछ यादों ने चुटकी में लोबान लिया

राहत इंदौरी

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए