फ़ानी बदायुनी के 10 बेहतरीन शेर
अग्रणी पूर्व-आधुनिक शायरों में शामिल, शायरी के उदास रंग के लिए विख्यात।
हर नफ़स उम्र-ए-गुज़िश्ता की है मय्यत 'फ़ानी'
ज़िंदगी नाम है मर मर के जिए जाने का
इक मुअम्मा है समझने का न समझाने का
ज़िंदगी काहे को है ख़्वाब है दीवाने का
हर मुसीबत का दिया एक तबस्सुम से जवाब
इस तरह गर्दिश-ए-दौराँ को रुलाया मैं ने
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दुनिया मेरी बला जाने महँगी है या सस्ती है
मौत मिले तो मुफ़्त न लूँ हस्ती की क्या हस्ती है
ज़िंदगी जब्र है और जब्र के आसार नहीं
हाए इस क़ैद को ज़ंजीर भी दरकार नहीं
दिल का उजड़ना सहल सही बसना सहल नहीं ज़ालिम
बस्ती बसना खेल नहीं बसते बसते बस्ती है
या-रब तिरी रहमत से मायूस नहीं 'फ़ानी'
लेकिन तिरी रहमत की ताख़ीर को क्या कहिए