Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

तहदीद-ए-असलहा

सआदत हसन मंटो

तहदीद-ए-असलहा

सआदत हसन मंटो

MORE BYसआदत हसन मंटो

    बैन-अल-अक़्वावामी सियासत इतनी पेचदार और उलझी हुई है कि इस को समझना काम रखता है। सच तो ये है कि इस भूल भुलैयों में इन्सान गुम हो कर रह जाता है।

    तहदीद-ए-असलहा के मुताल्लिक़ आपने बीसियों मर्तबा अख़बारों में पढ़ा होगा मगर सच कहिए कि आपने इसके मुताल्लिक़ क्या समझा? लेकिन मैं आपकी अक़ल-ओ-दानिश का इम्तिहान लेना नहीं चाहता। मैंने इसके मुताल्लिक़ जो कुछ समझा है, वो निहायत सादा अल्फ़ाज़ में यूं बयान किया जा सकता है यानी इस तौर पर कि बच्चे को भी ग़लतफ़हमी ना हो सके। फ़र्ज़ कर लीजिए कि आप और मैं ज़रा कम समझ वाले वाक़ेअ हुए हैं। मेरे पास तकिया है और बहुत मुम्किन है कि ये तकिया मैं आपके सर पर दे मारूं। आपके पास एक अंडा है और हो सकता है कि आप उसे मेरे सर पर फोड़ दें। गोया तकिया और अंडा हमारे असलहे हैं। अमन क़ायम रखने की ख़ातिर हम आपस में समझौता करने के लिए तहदीद-ए-असलह की एक मजलिस मुनाक़िद करते हैं। इस के मअनी ये हैं कि आप अपने लिए एक तकिया रखने के हुक़ूक़ हासिल करेंगे और मैं एक अंडा रखने का हक़ तलब करूँगा। गोया हम दोनों के पास एक दूसरे को बराबर का ज़रर पहुंचाने का सामान होगा। हम दोनों में से किसी को हक़ नहीं होगा कि दूसरे के मश्ववरे के बग़ैर अपने हथियारों में इज़ाफ़ा करके बाहमी अमन को ख़तरे में डाले। अब कुछ देर के बाद मैं आपकी तवज्जो उस अमर की तरफ़ मबज़ूल कराता हूँ कि आपके पास एक क़लम तराश है जो वक़्त पर मोहलिक हथियार साबित हो सकता है ये सुनकर आप मेरी तवज्जो उस अमर की तरफ़ मुन'अतिफ़ कराते हैं कि मेरे मिल्कियत में एक कुल्हाड़ी है जिससे में एक ही ज़रब में गर्दन उड़ा सकता हूँ। इस पर हमारे दिलों में दफ़अतन जज़्ब-ए-अमन पसंदी करवट लेता है और मैं झट से एक क़लम तराश ख़रीद लेता हूँ और आप अव्वलीन फ़ुर्सत में कुल्हाड़ी ले आते हैं।

    अब हालात बैन-उल-अक़वामी सियासत की तरह तरक़्क़ी-पज़ीर हो जाते हैं और एक रोज़ मैं आपसे ये कहता हूँ कि चूँकि मेरे हथियारों के जवाब में आपके पास भी इस किस्म के हथियार मौजूद हैं इसलिए मुझे बाज़ार से पिस्तौल ख़रीदने में कोई देर ना करनी चाहिए। बात बावन तोले पाओर्ती की है। जब मैं पिस्तौल ख़रीद लाता हूँ तो आप पिस्तौल के साथ साथ एक चमकीली तलवार भी ले आते हैं। अब फ़ित्री तौर पर मैं भी तलवार ख़रीद लेता हूँ और साथ साथ तहदीद-ए-असलहा के जज़्बे के मा-तहत एक मशीन-गन भी गाड़ी पर लदवाकर ले आता हूँ तो समझ लीजिए कि अब अमन-ओ-अमान क़ायम होने में कोई देर नहीं, आप दौड़ कर बेहतरीन असलहा-साज़ के यहां से एक उम्दा किस्म का तबाह-कुन टैंक ले आते हैं और लगे हाथों एक बड़ा सा बम भी ख़रीद लेते हैं। जिससे मेरे घर की छत भक से उड़ाई जा सकती है। ख़ाकसार भी आपकी देखा देखी दो एक गोले घर में डाल देता है और बतौर हिफ़्ज़ मा-तक़द्दम गैस बनाने वालों को चंद सिलेंडर ज़हरीली गैस तैयार करने की फ़र्माइश भी कर डालता है। इस गैस से आपके बाल बच्चों का रंग पीला पड़ सकता है और आपके चेहरे पर सूखे हुए बैंगन की तरह झुर्रियाँ पैदा हो सकती हैं। इस पर आप इस किस्म की गैस तलाश कर लेते हैं जो मेरे सर, मेरी टांगों और मेरे बाज़ुओं को सिरे से ग़ायब ही कर दे, फिर आप एहतियातन एक बंबार तय्यारा भी अपने घर में ले आते हैं। नतीजा ये होता है कि हम कुछ इस तरह 'ग़ैर मुसल्लह' हो जाते हैं कि हमारे दरमियान जंग का ख़्याल ही नहीं किया जा सकता। थोड़े दिनों के बाद हम एक दूसरे को बिल्कुल फ़ना कर देते हैं, मगर ये तबाही इत्तिफ़ाक़ी होगी। इस का कुछ ख़्याल नहीं करना चाहिए।

    स्रोत:

    Manto Ke Mazameen (Pg. 66)

    • लेखक: सआदत हसन मंटो
      • प्रकाशक: साक़ी बुक डिपो, दिल्ली
      • प्रकाशन वर्ष: 1997

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

    GET YOUR PASS
    बोलिए