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Akbar Haideri Kashmiri's Photo'

अकबर हैदरी कश्मीरी

1929 | श्रीनगर, भारत

अकबर हैदरी कश्मीरी के शेर

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सब्र करती ही रही बे-चारगी

ज़ुल्म होता ही रहा मज़लूम पर

अजल कुछ ज़िंदगी का हक़ भी है

ज़िंदगी तेरी अमानत ही सही

हर नफ़स मिन्नत-कश-ए-आलाम है

ज़िंदगी शायद इसी का नाम है

जब्र सहता हूँ मगर कब तक सहूँ इंसान हूँ

सब्र करता हूँ मगर दिल सब्र के क़ाबिल नहीं

दीदनी है अब शिकस्त-ए-ज़ब्त की बे-चारगी

मुस्कुराता हूँ मगर दिल दर्द से लबरेज़ है

आह अब ख़ुद्दारी-ए-अकबर कहाँ

हो गई वो भी ग़ुलाम-ए-आरज़ू

हुस्न की तफ़्सीर भी कुछ कीजिए

इश्क़ बे-शक इक ख़याल-ए-ख़ाम है

ज़िंदगी है चश्म-ए-इबरत में अभी

कुछ नहीं तो ऐश-ओ-इशरत ही सही

इश्क़ की सादा-दिली है हर तरफ़ छाई हुई

बारगाह-ए-हुस्न में हर आरज़ू नौ-ख़ेज़ है

बज़्म-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ में 'अकबर' की अफ़्सुर्दा-दिली

दाद के लाएक़ नहीं बे-दाद के क़ाबिल नहीं

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