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अज़ीज़ अहमद की कहानियाँ
बाग़्बान
यह एक बाग़ की देखभाल करने वाले माली की कहानी है, जो उस बाग के हर पेड़-पौधे से अपने बच्चों की तरह मोहब्बत करता है। वह उनकी दिल-जान से देखभाल करता है और इसी काम में अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ार देता है। माली के बुढ़ापे में जब मालिक बाग़ को किसी नए आदमी को बेच देता है तो वह माली नए मालिक से दरख़्वास्त करता है कि मरने के बाद वह उसकी क़ब्र भी उसी बाग़ में बनवा दे।
मदन सीना और सदियाँ
यह कहानी एक ऐसी दास्तान बयान करती है जिससे हमारे समाज की महान और प्रसिद्ध प्रेम कहानियों ने प्रेरणा ली है। चाहे वह शीरीं फ़रहाद हो या फिर हीर-राँझा। इस तरह की सभी कहानियों की प्रेरणा मदन सेना, धरम दत्त और समुंद्र दत्त की कहानी रही है। मदन सेना, जिससे प्रेम तो धरम दत्त करता है, मगर उसकी शादी समुद्र गुप्त से हो जाती है।
दियासलाई की अहमियत
यह एक ऐसे हिंदुस्तानी की कहानी है, जिसकी मुलाक़ात ट्रेन में सफ़र के दौरान एक अमेरिकन लड़की से हो जाती है। उसके बाद इत्तेफ़ाक से उन दोनों को एक ही होटल में कमरा भी मिल जाता है। शाम के डिनर के दौरान जब वह उसे चूमना चाहता है तो अमेरिकन लड़की उसके मुँह पर एक ज़ोरदार थप्पड़ रसीद कर देती है।
ज़र-ख़रीद
यह कहानी हमारे सामने भारतीय समाज में ज़ात-पात के विद्रूप चेहरे को पेश करती है। शीरीं एक बहुत ख़ूबसूरत पारसी लड़की है, जिसका एक अमीर जौहरी के साथ संबंध होता है। शीरीं के बारे में कई कहानियाँ मशहूर थीं। लेकिन सच यह था कि उसका उस जौहरी के साथ एक साल से संबंध है। जौहरी ने शीरीं से शादी न करके अपनी ही बिरादरी की लड़की से शादी की थी।
बेकार दिन बेकार रातें
कहानी आज़ादी और बँटवारे से पहले के हिंदुस्तानी समाज के उच्च वर्ग के ऐश-ओ-आराम और अय्याशियों की दास्तान बयान करती है। एक शख़्स अपने राजा दोस्त के कहने पर बंबई की सैर के लिए जाता है। वहाँ वह उच्च वर्ग की ऐसी अय्याशी देखता है कि उसे वहाँ बीतते दिन और रातें बिल्कुल बेकार नज़र आने लगती हैं।
डबल लाइफ़
यह एक ऐसी लड़की की कहानी, जो प्यार तो करती है लेकिन इज़हार करने से डरती है। उसे अपने नाम, इज़्ज़त और चरित्र की बहुत परवाह होती है। वह उसके साथ अपने संबंधों को महज़ दोस्ती का नाम देती है। मगर जब वह किसी दूसरी लड़की के साथ घूमने जाता है तो उसे यह भी बर्दाश्त नहीं होता। आख़िर-कार वह अपनी हर चीज़ से बे-परवाह होकर उससे अपनी मोहब्बत का इज़हार कर देती है।
जादू का पहाड़
यह एक शौहर की अपनी बीवी के लिए बेवफ़ा हो जाने की कहानी है। कमला अपनी दोस्त और शौहर के साथ मसूरी घूमने जाती है। सफ़र के दौरान उसे लगता है कि उसकी दोस्त और शौहर के बीच कुछ चल रहा है, लेकिन वह नज़र-अंदाज़ कर देती है। मगर मसूरी में जब वह छुपकर उन दोनों को अपनी आँखों से देख लेती है तो उसे अपने शौहर से नफ़रत हो जाती है।
पापोश
एक ऐसे हैदराबादी जागीरदार की कहानी है, जो अपनी बीवी सकीना बेगम के विरोध के बावजूद घर की नौकरानी की बेटी से गाँव जाकर मुता (निकाह) कर लेता है। उस निकाह के बाद वह इसरार करके सकीना बेगम को भी गाँव ले जाता है। मगर वहाँ दोनों बीवियों के बीच ऐसा झगड़ा होता है कि सकीना बेगम जागरीदार साहब का घर छोड़कर चली जाती है।
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बाल-साहित्य1947
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