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ख़दीजा मस्तूर

1927 - 1982 | पाकिस्तान

लोकप्रिय पाकिस्तानी कथाकार, उपन्यास ‘आंगन’ की लेखिका, महत्वपूर्ण साहित्यिक सम्मान ‘आदम जी एवार्ड’ से सम्मानित।

लोकप्रिय पाकिस्तानी कथाकार, उपन्यास ‘आंगन’ की लेखिका, महत्वपूर्ण साहित्यिक सम्मान ‘आदम जी एवार्ड’ से सम्मानित।

ख़दीजा मस्तूर की कहानियाँ

भूरे

विभाजन के बाद हिजरत करके पाकिस्तान जा बसे भूरे नाम के एक व्यक्ति की कहानी। भूरे भारत के सीतापुर से निकलकर लाहौर जा बसता है। वहाँ वह एक अस्पताल में नौकरी करने लगता है। नौकरी के दौरान उसका हर तरह की औरतों से सामना पड़ता है, पर वह किसी से भी शादी करने के लिए ख़ुद को मानसिक रूप से तैयार नहीं पाता है। इस अर्से में उसे अपने बचपन की मंगेतर ज़हूरन याद आती है। संयोग से एक दिन उसका सामना उसी अस्पताल में ज़हूरन से हो जाता है, जो अपने साहबों के नाज़ाइज़ बच्चे पैदा करने के लिए हर साल वहाँ आती है। उसकी यह हक़ीक़त जान लेने के बाद पहले तो वह ज़हूरन को ठुकरा देता है, पर जब वह चली जाती है तो भूरे वहीं उसके इंतिज़ार में सारी उम्र गुज़ार देता है।

ठंडा मीठा पानी

यह कहानी युद्ध के परिवेश में जीवन व्यतीत करती एक महिला पर आधारित है। युद्ध समाप्त हो चुका है, पर उसे लगता है कि युद्ध अभी भी जारी है। वह लगातार बंदूक की गोलियों के चलने और बमों के फटने की आवाज़ें सुनती रहती है। उसका पति बीवी-बच्चों की हिफ़ाज़त के लिए उन्हें लाहौर से मुल्तान भेज देता है। मुल्तान में भी वही युद्ध का वातावरण है। रात में कहीं पास में बम फटता है। सुबह वह अपने पड़ोसियों के साथ उस जगह को देखने जाती है जहाँ बम गिरा था। वहाँ जाकर वह देखती है कि बम गिरने से उस जगह एक बहुत गहरा गड्ढा बन गया है, जिसके पास बैठा एक बूढ़ा चंदा जमा कर रहा है ताकि उस गड्ढे में ठंडे-मीठे पानी का एक कुँआ बनाया जा सके।

सेहरा

एक ऐसी विधवा औरत की कहानी, जो दिन-रात मेहनत करके अपने बच्चों को कामयाब बनाती है। बेटियों की शादी के बाद वह अपने दो बेटों के साथ रहती है। उसका बड़ा बेटा उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चला जाता है और शादी करके वहीं अपना घर बसा लेता है। माँ यह सोच कर परेशान होती है कि अगर छोटा बेटा भी उच्च शिक्षा के लिए विदेश चला गया तो बुढ़ापे में वह अकेली रह जाएगी। लेकिन छोटा बेटा ऐसा नहीं करता, वह अपनी माँ का हर तरह से ख़्याल रखता है, वह हमेशा माँ के साथ रहता है, यहाँ तक कि वह अपनी माँ के साथ ही सोता भी है। अपनी मोहब्बत के विभाजन के डर से वह अपनी शादी से भी इंकार कर देता है। माँ ने बेटे की शादी करा दी और वह सुहागरात को भी अपनी माँ के कमरे में ही सोता है।

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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