मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी के श्रेष्ठ और प्रसिद्ध मज़ाहिया उद्धरण
यूसुफ़ी का नाम आते ही
होंठों पर मुस्कुराहट और हंसी तैरने लगती है। यूसुफ़ी उन लोगों में से हैं जिन्होंने उर्दू में सबसे अधिक लोकप्रिय और श्रेष्ठ हास्य लिखा है। यहाँ हम आपके लिए यूसुफ़ी के हास्य-लेखन से चुनिंदा कथनों को प्रस्तुत कर रहे हैं। आप इन कथनों और उद्धरणों को पढ़िए और यूसुफ़ी के श्रेष्ठ हास्य का आनंद लीजिए।
मर्द इश्क़-ओ-आशिक़ी सिर्फ़ एक मर्तबा करता है, दूसरी मर्तबा अय्याशी और उसके बाद निरी अय्याशी।
मूंगफली और आवारगी में ख़राबी यह है कि आदमी एक दफ़ा शुरू कर दे तो समझ में नहीं आता, ख़त्म कैसे करे।
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अंग्रेज़ों के मुतअ'ल्लिक़ ये मशहूर है कि वो तबअ'न कम-गो वाक़े' हुए हैं। मेरा ख़याल है कि वो फ़क़त खाने और दाँत उखड़वाने के लिए मुँह खोलते हैं।
देगची से तहज़ीब-याफ़्ता इंसान वो काम लेता है जो क़दीम ज़माने में मे'दे से लिया जाता था। या'नी ग़िज़ा को गलाना।
बढ़िया सिगरेट पीते ही हर शख़्स को मुआ'फ़ कर देने को जी चाहता है... ख़्वाह वो रिश्तेदार ही क्यों न हो।
जवान लड़की की एड़ी में भी आँखें होती हैं। वह चलती है तो उसे पता होता है कि पीछे कौन, कैसी नज़रों से देख रहा है।
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सच तो ये है कि हुकूमतों के अ'लावा कोई भी अपनी मौजूदा तरक़्क़ी से मुत्मइन नहीं होता।
उम्र-ए-तबीई तक तो सिर्फ़ कव्वे, कछुवे, गधे और वो जानवर पहुंचते हैं जिनका खाना शर्अ़न हराम है।
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मर्द की पसंद वो पुल-सिरात है जिस पर कोई मोटी औरत नहीं चल सकती।
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ईजाद और औलाद के लच्छन पहले ही से मालूम हो जाया करते तो दुनिया में न कोई बच्चा होने देता और न ईजाद।
आप राशी, ज़ानी और शराबी को हमेशा ख़ुश-अख़्लाक़, मिलनसार और मीठा पाएँगे। इस वास्ते कि वह नख़्वत, सख़्त गिरी और बद-मिज़ाजी अफोर्ड ही नहीं कर सकते।
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बात ये है कि घरेलू बजट के जिन मसाइल पर मैं सिगरेट पी पी कर ग़ौर किया करता था, वो दर-अस्ल पैदा ही कसरत-ए-सिगरेट-नोशी से हुए थे।
ग़ालिब दुनिया में वाहिद शायर है जो समझ में न आए तो दुगना मज़ा देता है।
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ताअन-ओ-तशनीअ से अगर दूसरों की इस्लाह हो जाती तो बारूद ईजाद करने की ज़रूरत पेश न आती।
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हमारा अक़ीदा है कि जिसे माज़ी याद नहीं रहता उसकी ज़िंदगी में शायद कभी कुछ हुआ ही नहीं, लेकिन जो अपने माज़ी को याद ही नहीं करना चाहता वो यक़ीनन लोफ़र रहा होगा।
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जितना वक़्त और रुपया बच्चों को “मुस्लमानों के साईंस पर एहसानात” रटाने में सर्फ़ किया जाता है, दसवाँ हिस्सा भी बच्चों को साईंस पढ़ाने में सर्फ़ किया जाए तो मुसलमानों पर बड़ा एहसान होगा।
घोड़े और औरत की ज़ात का अंदाज़ा उसकी लात और बात से किया जाता है।
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जो शख़्स कुत्ते से भी न डरे उसकी वलदियत में शुब्हा है।
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मुसलमान लड़के हिसाब में फ़ेल होने को अपने मुसलमान होने की आसमानी दलील समझते हैं।
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औरत की एड़ी हटाओ तो उसके नीचे से किसी न किसी मर्द की नाक ज़रूर निकलेगी।
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जो मुल़्क जितना ग़ुर्बत-ज़दा होगा उतना ही आलू और मज़हब का चलन ज़्यादा होगा।
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गाली, गिन्ती, सरगोशी और गंदा लतीफ़ा तो सिर्फ़ अपनी मादरी ज़बान में ही मज़ा देता है।
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छोटे मुल्कों के मौसम भी तो अपने नहीं होते। हवाएँ और तूफ़ान भी दूसरे मुल्कों से आते हैं। ज़लज़लों का मर्कज़ भी सरहद पार होता है।
किसी ख़ूबसूरत औरत के मुतअ'ल्लिक़ ये सुनता हूँ कि वो पारसा भी है तो न जाने क्यों दिल बैठ सा जाता है।
बीती हुई घड़ियों की आरज़ू करना ऐसा ही है जैसे टूथपेस्ट को वापिस ट्यूब में घुसाना।
यूँ तो दुनिया में ग़ीबत से ज़्यादा ज़ूद-हज़्म कोई चीज़ नहीं लेकिन ये कबाब भी हलक़ से उतरते ही जुज़्व-ए-बदन हो जाते हैं।
शेर, हवाई जहाज़, गोली, ट्रक और पठान रिवर्स गियर में चल ही नहीं सकते।
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किसी अच्छे भले काम को ऐ'ब समझ कर किया जाए तो उसमें लज़्ज़त पैदा हो जाती है। यूरोप इस गुर को अभी तक नहीं समझ पाया। वहाँ शराब-नोशी ऐ'ब नहीं। इसीलिए उसमें वो लुत्फ़ नहीं आता।
मर्द की आँख और औरत की ज़बान का दम सबसे आख़िर में निकलता है।
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बे-सबब दुश्मनी और बदसूरत औरत से इश्क़ हक़ीक़त में दुश्मनी और इश्क़ की सबसे न-खालिस क़िस्म है। यह शुरू ही वहां से हुई हैं जहाँ अक़्ल ख़त्म हो जावे है।
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होम्योपैथी का बुनियादी उसूल ये है कि छोटा मरज़ दूर करने के लिए कोई बड़ा मरज़ खड़ा कर दो। चुनाँचे मरीज़ नज़ले की शिकायत करे तो दवा से निमोनिया के असबाब पैदा कर दो। फिर मरीज़ नज़ले की शिकायत नहीं करेगा। होम्योपैथी की करेगा।
प्राइवेट अस्पताल और क्लीनिक में मरने का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि मरहूम की जायदाद, जमा-जत्था और बैंक बैलेंस के बंटवारे पर पसमानदगान में ख़ून-ख़राबा नहीं होता, क्योंकि सब डॉक्टरों के हिस्से में आ जाता हैं।
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इससे ज़ियादा बद-नसीबी और क्या होगी कि आदमी एक ग़लत पेशा अपनाए और उसमें कामयाब होता चला जाए।
गाने वाली सूरत अच्छी हो तो मोहमल शेअर का मतलब भी समझ में आ जाता है।
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मेज़ाह, मज़हब और अल्कोह्ल हर चीज़ में ब-आसानी मिल जाते हैं।
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दुनिया का सबसे महंगा सिगरेट आपका पहला सिगरेट होता है, बा'द में सब सस्ता हो जाता है यहाँ तक कि पीने वाला भी।
हमारी गायकी की बुनियाद तब्ले पर है, गुफ़्तगू की बुनियाद गाली पर।
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बंदर में हमें इसके इलावा और कोई ऐब नज़र नहीं आता कि वो इन्सान का जद्द-ए-आला है।
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