लव शायरी
इश्क़ पर ये शायरी आपके लिए एक सबक़ की तरह है, आप इस से इश्क़ में जीने के आदाब भी सीखेंगे और हिज्र-ओ-विसाल को गुज़ारने के तरीक़े भी. ये पहला ऐसा ख़ूबसूरत काव्य-संग्रह है जिसमें इश्क़ के हर रंग, हर भाव और हर एहसास को अभिव्यक्त करने वाले शेरों को जमा किया गया है.आप इन्हें पढ़िए और इश्क़ करने वालों के बीच साझा कीजिए.
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
sorrows other than love's longing does this life provide
comforts other than a lover's union too abide
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के
Ghalib, a worthless person, this love has made of me
otherwise a man of substance I once used to be
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
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एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
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चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा'द ये मा'लूम
कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के
दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया
करूँगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाम
मुझे तो और कोई काम भी नहीं आता
तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
तुम को आता है प्यार पर ग़ुस्सा
मुझ को ग़ुस्से पे प्यार आता है
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था
आज देखा है तुझ को देर के बअ'द
आज का दिन गुज़र न जाए कहीं
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया
बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है
उसे गले से लगाए ज़माना हो गया है
उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ
अब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ
मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था
वो उतनी दूर हो गया जितना क़रीब था
आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए
मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ
आते आते मिरा नाम सा रह गया
उस के होंटों पे कुछ काँपता रह गया
जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे
जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ
उस ने सदियों की जुदाई दी है
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
क़िस्तों में ख़ुद-कुशी का मज़ा हम से पूछिए
आरज़ू है कि तू यहाँ आए
और फिर उम्र भर न जाए कहीं
इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया
my being did, from love's domain, the joy of life procure
obtained such cure for life's travails, which itself had no cure
उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला
याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं