aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
रज़ा नक़वी वाही की गिनती हास्य व्यंग्य के महत्वपूर्ण शायरों में होती है। उनकी पैदाइश 1914 में खजवा ज़िला सीवान, बिहार में हुई। असल नाम सैयद मुहम्मद रज़ा नक़वी था, वाही तख़ल्लुस था। आरम्भिक शिक्षा स्थानीय मिडिल स्कूल में हुई। पटना कालेज से इन्टर मीडिएट करने के बाद सूफ़ी कमर्शियल कालेज (कलकत्ता यूनिवर्सिटी) से कामर्स में डिप्लोमा किया और 1937 में बिहार लेजिस्लेटिव असेम्बली सेक्रिट्रियेट में आफ़िशियल रिपोर्टर के रूप में नौकरी आरम्भ की। सहायक सचिव के पद तक पदोन्नति करके 1974 में सेवानिवृत हुए।
वाही ने संजीदा कलाम से शायरी का आरम्भ किया था लेकिन धीरे-धीरे वह हास्य-व्यंग की तरफ़ आ गये। हास्य-व्यंग्य की शायरी पर आधारित उनके कई संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। वाही की शायरी का कैनवास बहुत बड़ा है। उनके यहाँ विषयों का विस्तार उर्दू की हास्य व्यंग्य की शायरी के परिदृश्य में हैरान तो करता ही है।
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