जिन के मैं दिल में रहा करता था धड़कन की तरह
जिन के मैं दिल में रहा करता था धड़कन की तरह
वो मिरा नाम भी अब लेते हैं दुश्मन की तरह
किसी जादू किसी टोने से न आई बस में
मेरी तक़दीर है रूठे हुए साजन की तरह
तुम हमें भूल गए जा के नई दुनिया में
हम सुलगते रहे बरसात के ईंधन की तरह
कल वो ही लोग जिन्हें मैं ने कहा था अपना
आज बैठे हैं मिरी राह में रहज़न की तरह
अपनी क़िस्मत में तो बस ख़ाक-नशीं होना है
हम न माथे पे सजेंगे कभी चंदन की तरह
उस का ही दामन-ए-उम्मीद भरा जाएगा
उन के दरबार में जाएगा जो निर्धन की तरह
नाज़ हम अपनी जवानी पे करें क्यों 'गुलशन'
छोड़ कर ये भी चली जाएगी बचपन की तरह
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