किसी पैमान-ए-बाहम के क़फ़स होने से पहले
किसी पैमान-ए-बाहम के क़फ़स होने से पहले
परखना ख़ुद पे उस की दस्तरस होने से पहले
सितम है वक़्त का और वक़्त कब किस का हुआ है
तनावर पेड़ थी मैं ख़ार-ओ-ख़स होने से पहले
बड़ी तरतीब से चलता है कारोबार-ए-गुलशन
है खिलना गुल का जूँ सैद-ए-मगस होने से पहले
ज़रा सा छू के कुंदन कर दिया है तन-बदन को
ग़ुबार-ए-राह थी मैं तुम से मस होने से पहले
कभी आओ कि मुझ को ए'तिबार-ए-ज़िंदगी हो
मगर ये ज़िंदगी कार-ए-‘अबस होने से पहले
असर दिल पर हुआ है जो तुम्हारी बे-रुख़ी से
कोई मरहम असर के दूर-रस होने से पहले
रहे ये ध्यान में पल पल बदलते हैं रवय्ये
हिसार-ए-'इश्क़ के दाम-ए-हवस होने से पहले
बहुत लम्बी मसाफ़त ज़िंदगी कम है सो करना
सफ़र आग़ाज़ आवाज़-ए-जरस होने से पहले
हैं जिस की मुंतज़िर 'नसरीं' ये आँखें काश आए
फ़ना-ए-नग़्मा-ए-तार-ए-नफ़स होने से पहले
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