मुझ पे तू मेहरबान है प्यारे
मुझ पे तू मेहरबान है प्यारे
ये भी इक इम्तिहान है प्यारे
ये तिरा आस्तान जल्वा है
मेरे दिल की भी शान है प्यारे
कौन कहता है बेवफ़ा तुझ को
किस के मुँह में ज़बान है प्यारे
आशिक़ी और शिकवा-ए-बेदाद
ये तुझे क्या गुमान है प्यारे
तेरे कूचे का वाह क्या कहना
ये ज़मीं आसमान है प्यारे
है फ़साना अगर जहाँ तो इश्क़
इस फ़साने की जान है प्यारे
तू सलामत रहे तिरे दम से
दिल की दुनिया जवान है प्यारे
हाए वो दास्तान-ए-ग़म जिस की
ख़ामुशी तर्जुमान है प्यारे
दिल की बेताबियों का हाल न पूछ
एक आफ़त में जान है प्यारे
हम भी उर्दू पे नाज़ करते हैं
ये हमारी ज़बान है प्यारे
- पुस्तक : Kulliyat-e-gopal mittal (पृष्ठ 145)
- रचनाकार : Gopal Mittal
- प्रकाशन : Modern Publishing House, Daryaganj New delhi (1994)
- संस्करण : 1994
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