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ये मत समझो हक़ीक़त से किनारा करने वाला हूँ

हनीफ़ नज्मी

ये मत समझो हक़ीक़त से किनारा करने वाला हूँ

हनीफ़ नज्मी

MORE BYहनीफ़ नज्मी

    ये मत समझो हक़ीक़त से किनारा करने वाला हूँ

    मैं सब ख़्वाबों को अपने पारा पारा करने वाला हूँ

    जिसे मैं ने कभी आधा अधूरा कर के छोड़ा था

    वो काम अब के ब-तर्ज़-ए-नौ दुबारा करने वाला हूँ

    किया था कल मुसख़्ख़र बस ज़रा सा ही जिसे मैं ने

    उसे अपना मैं अब सारे का सारा करने वाला हूँ

    मिली फ़ुर्सत तो फिर इस को कभी सूरज में ढालूँगा

    अभी तो इस शरर को मैं सितारा करने वाला हूँ

    जिसे देखो यहाँ औरों के नुक़साँ का ही बा'इस है

    बस इक में हूँ जो आप अपना ख़सारा करने वाला हूँ

    जहाँ वालो मिरी इन अन-खुली आँखों पे मत जाओ

    मैं बंद आँखों से दुनिया का नज़ारा करने वाला हूँ

    सुन फ़िर'औन-ए-'आलम मैं कोई मूसा नहीं लेकिन

    मैं तेरी सल्तनत को पारा पारा करने वाला हूँ

    ज़बाँ से कुछ कहना हुस्न की फ़ितरत सही लेकिन

    ये ख़ामोशी भला कब मैं गवारा करने वाला हूँ

    अगर समझे तो बस अहल-ए-नज़र समझेंगे कुछ 'नजमी'

    मैं ग़ज़लों में बहुत नाज़ुक इशारा करने वाला हूँ

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