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ऐ सरवर-ए-शे'र-ओ-अदब-ओ-हुस्न-ए-तग़ज़्ज़ुल

इनाम थानवी

ऐ सरवर-ए-शे'र-ओ-अदब-ओ-हुस्न-ए-तग़ज़्ज़ुल

इनाम थानवी

MORE BYइनाम थानवी

    रोचक तथ्य

    رئیس المتغزلین حضرت جگر مراد آبادی

    सरवर-ए-शे'र-ओ-अदब-ओ-हुस्न-ए-तग़ज़्ज़ुल

    रेहलत का नहीं है तिरी यारा-ए-तहम्मुल

    कम 'इश्क़ नहीं मर्तबा-ए-हुस्न से बिल्कुल

    बेदार किया तू ने ये एहसास-ए-तक़ाबुल

    मजमू'आ-ए-अफ़्कार तिरा कैफ़ की दुनिया

    और 'आलम-ए-पाकीज़गी-ए-ज़ौक़-ओ-तख़य्युल

    तू ने किए तख़्लीक़ अदब के नए शहकार

    था सिन्फ़-ए-ग़ज़ल में जो तिरा फ़िक्र-ओ-तअम्मुल

    अल्लह रे तिरा सिद्क़-ओ-यक़ीं वज़'-ओ-शराफ़त

    मद्दाह हैं अहल-ए-दिल ईसार तवक्कुल

    नज़्ज़ारा-ए-रा'नाई-ए-शादाबी-ए-गुलशन

    गुलज़ार-ए-सुख़न का है तिरा हुस्न-ओ-तहम्मुल

    ढाला है तग़ज़्ज़ुल के नए साँचों में तू ने

    मज़मून दिल-ओ-चश्म-ओ-लब-ओ-आरिज़-ओ-काकुल

    हर शे'र-ए-दिल-आवेज़ छलकता हुआ साग़र

    हर एक ग़ज़ल ख़ूब-ओ-मुरस्सा' सबद-ए-गुल

    था हुस्न-ए-तरन्नुम तिरा फ़िरदौस-ए-समा'अत

    फ़ख़्र-ए-अदब क़ाफ़िला-सालार-ए-तग़ज़्ज़ुल

    था तेरे हर इक शे'र पे तहसीन का 'आलम

    और दाद का संजीदा-ओ-पुर-लुत्फ़ हसीं ग़ुल

    हैं ख़ास तनव्वो’ से सुख़न में तिरे मज़कूर

    सर्व-ओ-समन-ओ-नस्तरन-ओ-लाला-ओ-सुंबुल

    है तेरी ग़ज़ल तब' की पुर-कैफ़ रवानी

    और हुस्न-ए-ख़यालात का दिलचस्प तसलसुल

    कुछ और हुई है तिरे अंदाज़-ए-बयाँ से

    पुर-लुत्फ़-ओ-दिल-आवेज़ हदीस-ए-गुल-ओ-बुलबुल

    'इन'आम' दु'आ-गो है मिले रुतबा-ए-‘आली

    जन्नत में तुझे सरवर-ए-'आलम के तवस्सुल

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