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बरगद का बूढ़ा पेड़

पाशा रहमान

बरगद का बूढ़ा पेड़

पाशा रहमान

MORE BYपाशा रहमान

    बरगद का ये बूढ़ा पेड़

    जिस के जिस्म की खाल तक अब तो सूख गई है

    इस के साए में

    जाने कितने रूमान पले हैं

    जाने कितने पैमान बंधे हैं

    इस बरगद के पेड़ को सब

    हमराज़ बना कर

    जीवन साथ निभाने का

    वा'दा करते थे

    इस बरगद के साए में

    कितनी छैल-छबेली सुंदर नारी

    मीत से मिलने की आशा में

    पहरों बैठी रहती थीं

    कितने अलबेले शोख़ कनहैया

    इस बरगद के साए में

    अपनी नय से

    मद-भरी आवाज़ का जादू घोलते थे

    बिरहा-राग को छेड़ के अक्सर

    फ़र्त-ए-ग़म से

    अश्क के मोती रोलते थे

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