Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

आज़िम कोहली के शेर

2.8K
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

मोहब्बत करने वाले दर्द में तन्हा नहीं होते

जो रूठोगे कभी मुझ से तो अपना दिल दुखाओगे

ज़िंदगी सुंदर ग़ज़ल है दोस्तो

ज़िंदगी को गुनगुनाना चाहिए

मैं जी भर के रोया तो आराम आया

मिरा ग़म ही आख़िर मिरे काम आया

दुख पे मेरे रो रहा था जो बहुत

जाते जाते कह गया अच्छा हुआ

देखना कैसे पिघलते जाओगे

जब मिरी आग़ोश में तुम आओगे

हम लकीरें कुरेद कर देखें

रंग लाएगा क्या ये साल नया

हम ने मिल-जुल के गुज़ारे थे जो दिन अच्छे थे

लम्हे वो फिर से जो आते तो बहुत अच्छा था

नीला अम्बर चाँद सितारे बच्चों की जागीरें हैं

अपनी दुनिया में तो बस दीवारें ही ज़ंजीरें हैं

जो हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ

जब जहाँ जो हो गया अच्छा हुआ

सब्र की तकरार थी जोश जुनून-ए-इश्क़ से

ज़िंदगी भर दिल मुझे मैं दिल को समझाता रहा

देखा तुझे रब हम ने हाँ दुनिया तेरी देखी है

सड़कों पर भूके बच्चे भी कोठे पर अब्ला नारी भी

'आज़िम' तेरी बर्बादी में सब ने मिल-जुल कर काम किया

कुछ खेल लकीरों का भी है कुछ वक़्त की कार-गुज़ारी भी

आदमी को चाहिए तौफ़ीक़ चलने की फ़क़त

कुछ नहीं तो गुज़रे वक़्तों का धुआँ ले कर चले

बात चल निकलेगी फिर इक़रार की इंकार की

फिर वही बचपन के भूले गीत गाए जाएँगे

रंग जाता था उन की दीद से रुख़ पर मिरे

देख कर अब वो भी मुझ को सुर्ख़-रू होने लगे

कौन बाँधेगा मिरी बिखरी हुई उम्मीद को

खुल रहा है अब तो हर हल्क़ा मिरी ज़ंजीर का

ये क्या हुआ कि अब तुझी से बद-गुमाँ मैं हो गया

मैं सोचता था ज़िंदगी तू मुझ को रास गई

वो जाते जाते मुझे अपने ग़म भी सौंप गया

अजीब ढंग निकाला है ग़म-गुसारी का

मुझे अय्यारियाँ सब गई हैं

मैं अब तेरे नगर का हो गया हूँ

मिरे हर ज़ख़्म पर इक दास्ताँ थी उस के ज़ुल्मों की

मिरे ख़ूँ-बार दिल पर उस के हाथों का निशाँ भी था

कौन जाने किस घड़ी याँ क्या से क्या हो कर रहे

ख़ौफ़ सा इक दरमियाँ होता है तेरे शहर में

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए