आज़िम कोहली
ग़ज़ल 19
नज़्म 1
अशआर 21
'आज़िम' तेरी बर्बादी में सब ने मिल-जुल कर काम किया
कुछ खेल लकीरों का भी है कुछ वक़्त की कार-गुज़ारी भी
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आदमी को चाहिए तौफ़ीक़ चलने की फ़क़त
कुछ नहीं तो गुज़रे वक़्तों का धुआँ ले कर चले
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दुख पे मेरे रो रहा था जो बहुत
जाते जाते कह गया अच्छा हुआ
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वीडियो 4
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