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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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Abr Ahsani Ganauri's Photo'

अब्र अहसनी गनौरी

1898 - 1973 | सोनीपत, भारत

अब्र अहसनी गनौरी

ग़ज़ल 17

नज़्म 2

 

अशआर 7

इश्क़ में और भी दीवाना बना देती है

मेरी आवाज़ में मिल कर तिरी आवाज़ मुझे

वहशियों को ये सबक़ देती हुई आई बहार

तार बाक़ी रहे कोई गरेबानों में

तुम क्यों उदास हो गए मैदान-ए-हश्र में

कह दो तो दिल की दिल में मिरी दास्ताँ रहे

शायद इस बात पे लब मेरे सिए जाते हैं

आह के साथ निकल जाए अरमाँ कोई

पलट आता हूँ मैं मायूस हो कर उन मक़ामों से

जहाँ से सिलसिला नज़दीक-तर होता है मंज़िल का

पुस्तकें 13

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