aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अमीन हज़ीं

1884 - 1967

अमीन हज़ीं

ग़ज़ल 22

नज़्म 12

अशआर 4

नुमूद-ए-रंग-ओ-बू ने मार डाला

उसी की आरज़ू ने मार डाला

रस्ते की ऊँच नीच से वाक़िफ़ तो हूँ 'अमीं'

ठोकर क़दम क़दम पे मगर खा रहा हूँ मैं

तुझ को तिरी ही आँख से देख रही है काएनात

बात ये राज़ की नहीं अपना ख़ुद एहतिराम कर

यूँ दिल है सर-ब-सज्दा किसी के हुज़ूर में

जैसे कि ग़ोता-ज़न हो कोई बहर-ए-नूर में

पुस्तकें 2

 

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