aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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कुंवर बेचैन

ग़ज़ल 20

नज़्म 3

 

अशआर 2

उस ने फेंका मुझ पे पत्थर और मैं पानी की तरह

और ऊँचा और ऊँचा और ऊँचा हो गया

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दो-चार बार हम जो कभी हँस-हँसा लिए

सारे जहाँ ने हाथ में पत्थर उठा लिए

 

हिंदी ग़ज़ल 17

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